Matar kulcha ki Recipe के सफर की चटपटी कहानी पढ़ कर मजा आजाएगा
Matar Kulcha famous street food Recipe and story of its journey to Delhi
Matar kulcha
दिल्ली में अपने चटपटे स्ट्रीट फ़ूड खाने के स्वादों के लिए, दिल्ली बेली के नाम से भी जानी जाती है। आपको दोपहर में किसी सड़क के कोने पर, बस स्टैंड के पास एक रेहड़ी या साइकिल पर Matar kulcha बेचता जरूर दिखाई दे जायेगा। जी हाँ ये दिल्ली के स्ट्रीट फूड् खाने में बहुत लोकप्रिय है। मटर कुलचे की कहानी , उनीसवीं सदी के मध्य में अफगानिस्तान के काबुली चने चल कर रावल पिंडी आकर, खास मसालों और घी आदि से मिलकर, मशहूर पिंडी छोले कहलाये जाने लगे थे । इन पिंडी छोलों की अगले सफर में मुलाकात अमृतसर शहर में तंदूरी नान कुलचों से हो गयी। ये तो ठीक से नहीं कहा जा सकता की खबूज़ और खमीरी रोटी सरद क्यों नहीं पार कर सके ।
Matar Kulcha, ख़ैर आगे चल कर इन दोनों की जोड़ी बड़ी मशहूर ए जमाना हो गयी। शाई खानसामाओं ने इन दोनों के स्वाद और पौष्टिका भरे गुण देख कर, मुगलों के दरबार और निज़ामों के खास लज़ीज़ स्वाद खानो में नौकरी कर ली । ये दोनों शोले फिल्म के जय और वीरू के जैसे दोस्त बन गए। यह दोस्ती आज तक कायम है। दुनिया गवाह है ,दोनों में आज भी बड़ा याराना लगता है ।
मुग़ल बादशाहों , हैदराबाद के निज़ाम,और अवध के नवाब खाने और उस के स्वाद के बहुत शौक़ीन हुआ करते थे। उनके मायने थे की जिस खाने की चीज़ में खालिस घी शुद्ध मसाले खड़े बैठे और अध् पिसे, खास बर्तनो में ,और अधिक समाय लगा कर धीमी आंच पर जब तक न पकाया गया हो वो स्वाद हो ही नहीं सकता। दाल जैसी बेजुबान मासूम चीज़ तक को चौबीस घंटे मंदी आंच पर पकने छोड़ दिया जाता था। और खुद की नाज़ुकता ऐसी की केले के छिलके पर पावं पड़ जाने से नजला हो जाता था। सो इस तरह पिंडी छोले अमृतसरी तंदूरी कुलचे बटवारे के बाद हिनुस्तान आकर यहीं बस गए। खाने के स्वाद ने ने कब किसी धर्म जाती या मुल्क की सहरद को माना हैI
मटर कुलचे की सेल्फी
अगर आपको दोपहर में सड़क पर चलते कहीं भूख लग लग जाये और सस्ते में स्वादिस्ट खाना खाने का मन हो। तो आप अपनी मोटर साइकिल कोने पर खड़ी कर शान से Matar kulcha वाले की रेहड़ी पर पहुंच जाओ। यहाँ पहले से पड़ी पीतल की बड़ी देगची शीर्ष आसान में खड़ी अपने मुँह को किसी दुपट्टे से ढक आपके स्वाद का सवागत करती दिख जाएगी । पास रखे मुस्कुराते हुए लाल टमाटर, सुर्र्ख पीले रंग के नटखट निम्बू ,और उन पर सजी जवान ताज़ा मिर्चें आपके मुँह में पानी के झरने बहा देंगी ये पक्का प्रॉमिस है। पास में मोटी तगड़ी धुप, फॅक्टरी के चिमनी की तरह खूबदार धुआं छोड़ ती हुई अपनी पवित्रता और वैष्णो होने का प्रमाण दे रही होगी ।
एक प्यारी सी आवाज़ , कितने पत्ते लगाऊं, या कितनी प्लेट एक ही बात को पूछने का ढंग है। धीरे से आपके सामने देगची का दुपट्टा उठा कर उस में से उबले मटर आलू से भरी एक करछी निकाल कर दोने में डालेगा। अब उस दोने में बची हुई जगह को कटी हुई प्याज से भर कर मिलाएगा। मसाला कैसा रखूं पूछते ही खास मासालों के साथ हरी धनिये पुदीने की चट्टानी से उस पर छिड़काव कर उस पर फिर प्याज, हरी मिर्च, टमाटर की कुतरन डालेगा। यह सब आपकी आँखों के सामने हो रहा होगा। दो पीस नान को पास में रखे तवे पर मक्कन में गरम करेगा। अब मक्कन के धुएं की खुसबू टमाटर प्याज और धुप के साथ आपकी भूख को बे काबू कर देगी।
अब आपके Matar kulcha पिंडी छोलों की तरह तैयार हो जायेंगे । आपको गरम गरम कुलचे साथ में , परोसने से पहले एक गाजर या हरी मिर्च सरसों के तेल के नशे में डूबी ,कई मसालों से जख्मी हालत में आपकी प्लेट पर बड़े स्टाइल से रख देगा। आचार की तेज सुगंध आपके स्वाद को दीवाना सा बना देगी। आपका हाथ मनो अपनी माशूक के हाथों को पड़ने के जैसा मजबूर हो ही जायेगा। गरम मटर आलू से उठती भाप में मसलों और चट्टानी की खुशबू, साथ में छोटे से प्लास्टिक के गिलास में रायता ज़ीरा और चाट मसाला डाल कर यूँ पेश करेगा की , आपको सम्मोहन कर अपने वश में कर लेगी। जैसे जैसे आप खाते जाओगे,भूख से जुदाई के आंसू आपकी आँखों से और नाक से छलकने शुरू हो जायेंगे।
मटर कुलचे बेचने वाला आपको महरम भरी निगाहों से देखते हुए बोलेगा साहब मसाला तो हल्का ही रखा था। बस यही मटर कुल्चो के सवाद होने का जादू है। इसी कारण ये इतने लोकप्रिय हो गए हैं। और मात्र तीस रूपए जेब से निकलने में दिल को भी बड़ी तस्सली मिलती है। दिल्ली के आम लोगों के लिए दोपहर की भूख मिटाने में Matar kulcha एक मसीहा के माफिक है। एक खास बात शयद इन के मोठे पीसे या अध् भुने मसलों में हो सकती है। खाने के बाद मन शांत और प्टफुलित सा हो जाता है। आपकी बातों में जोश का माहौल बन जाता है। गुस्सा शांत और मन कुछ देर के लिए एक दम फ्रेश हो जाता है।
बड़े चाव से Matar kulcha खाने का आनंद लेते हुए
आज ये Matar kulcha बेचने वाले इंटरनेट ,यू टूब के जरिये बड़े मशहूर हो गए हैं। जैसे कीर्ति नगर वाले , असली बस स्टैंड वाले लोटन वाले के ,आदि। खाना बनाने की रेसिपी बताने वालों ने हर ढंग से बनने का फार्मूला दिखा कर समझाया है। पर मेरे देखे जो स्वाद मटर कुलचे की रेहड़ी पर खड़े होकर खाने में आता है। उस का तो कोई मुकाबला ही नहीं है। इस बात को तो चाहे आप आजमा कर देख लो और कमेंट कर के बताना।
आज इंटरनेट की दुनिया में मटर कुलचे वालों ने खूब प्रचार किया है
हर Matar kulcha बेचने वाले की रेहड़ी पर एक हेल्पर लड़का भी खड़ा होता है। आज की भाषा में उसे इंटर्नशिप कह सकते हैं। जो आगे चल कर अपने उस्ताद की शागर्दी में रहते हुए मटर कुलचों के सारे पेच सीख कर एक दिन, अगले किसी चौक पर बस स्टैंड के पास, पेड़ के नीचे अपनी रेहड़ी लगाएगा। शयद फिर कोई मेरे जैसा स्वाद का मुरीद ब्लॉगर बड़े चाव से खाने जायेगा और ज़ायके को अपने शब्दों में परोसे गा। अब धीरे धीरे लोग Matar kulcha को पिंडी छोले ही समझने लग गए हैं। और आज Matar kulcha दिल्ली के चटपटे स्ट्रीट फ़ूड खाने में अपनी शोहरात हासिल कर लेंगे।
मेरी हिंदी की टाइपिंग के कारण कहीं कोई गलती से मसाला तेज हो गया हो , तो आई ऍम सॉरी
बहुत ही बेहतरीन लिखा है मटर कुचले के बारे में आपने भाई 🙏