Sultan Ghari Tomb Heritage Walk , Reach, Time

Sultan Ghari Tomb/ सुलतान गड़ी का मकबरा  साउथ दिल्ली के वसंत कुंज महिपालपुर रोड पर कुतुबमीनार से लगभग 7 किलोमीटर पश्चिम में है।

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Sultan Ghari Tomb/ यह मकबरा बाहर से किले जैसा और बुलंद दरवाजा जिस पर इतिहास बयान है।

Who Built Sultan Ghari Tomb?

इस मुकद्दस इमारत को महान सुल्तान इल्तुतमिश ने बनवाने का आदेश दिया था, दुनिया के महानतम सम्राट, जो इस दुनिया भगवान की छाया है। खुदा उनके शासन को कायम रखे। अल्लाह उस के गुनाहों को माफ करे। पूर्व का राजा अबुल फतेह महमूद, उसे जन्नत बक्शे।

Sultan Ghari Tomb Over View

एक तंग मासूम और दलदली सड़क इसे मेन रोड से जोड़ती है। मकबरे के दोनो और डी डी ए ने पार्क बनाया हुआ है। जहां अक्सर आसपास गांव के बच्चे क्रिकेट खेलने आते हैं। Sultan Ghari Tomb सुलतान गड़ी के मकबरे के दर्शन करने के लिए रंगपुरी, महिपालपुर, नांगलदेवत, मसूदपुर सहित कई आस-पास के गांवों के लोग आते हैं। गांवों के हिंदू और मुस्लिम दोनों धार्मिक समुदायों के भक्तों के लिए यह मकबरा Sultan Ghari Tomb एक सम्मानित स्थान है जैसे की कोई पीर की दरगाह हो। सुलतान गाड़ी मकबरे को एक संत ‘साथी’ की दरगाह मानते हैं; इस मकबरे पर पूजा के लिए गुरुवार का दिन एक विशेष दिन होता है, जब हिंदू और मुस्लिम दोनों भक्त इस मंदिर में जाते हैं,  इन गांवों के नवविवाहित जोड़ों के लिए मकबरे की यात्रा कमोबेश अनिवार्य है। रंगीन कलावा, मन्नत (कागज की छोटी पर्चियों पर लिखी गई शुभकामनाएं, जिसमें ताला लगा हो) और प्रसाद। सदियों से आस्था के इन लेखों की प्रगति कालिख, मोमबत्ती मोम और अगरबत्ती की परतों में देखी जा सकती है जो क्रिप्ट को कवर करती हैं इस विचार से यह मकबरा Sultan Ghari Tomb हिंदू और मुसलमानों में एक  जैसी श्रद्धा का प्रतीक सा जान पड़ता है। यहां आने वालों में मुस्लिमों से ज्यादा संख्या हिंदूओं की है। लोग अपनी अपनी मन्नतों को पूरा करने के लिए मुराद मांगते हैं, जिनके पूरा होने पर गुरुवार को मुसलमान श्रद्धालु चादर चढ़ाते हैं, तो हिंदु लोग   गुड़ चढ़ाते हैं। सुलतान गाड़ी का मकबरा, जो  भारत में दिल्ली सल्तनत के स्मारकों  में इस्लामी मकबरा होने का मुकाम हासिल करता है और पहला नमूना माना जाता है।

Sultan Tomb inside

ये मकबरा Sultan Ghari Tomb सुल्तान गढ़ के भीतर बनाया गया है। इस गढ़ी के अंदर दो कुएं व कई टूटी-फूटी इमारतें झांकती हैं जो बयां करती है कि ये शहर कभी आबाद था, आस पास के गांव के लोगों का खयाल है, कि अरावली की पहाडिय़ों पर बने इस शहर में पानी की कमी बढ़ गई हो जाने से  लोगों ने यहां से पलायन कर लिया होगा। मकबरे के चारों ओर पुराने गांव के खंडहर हैं जो उनके ख्याल से इत्तेफाक रखते हैं। एक तुगलक मस्जिद के पुराने खंडहर, जामी मस्जिद और एक खानकाह जो की आध्यात्मिक विश्राम का स्थान था जो हमे  मकबरे के दक्षिणी हिस्से में जैसे अपनी अधूरी कहानी बता रहा हो हैं।

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यह आठ कोनो वाला चबूतरा और यह दरवाजा नीचे तहखाने में दाखिल होने का एक मात्र रास्ता है

Sultan Ghari Tomb Architecture

Sultan Ghari Tomb मकबरे के मुख्य प्रवेश द्वार पर सफेद संगमरमर पे लेख से पता चलता है कि इसे गुलाम वंश के शासक सुलतान इल्तुतमिश ने सन् 1231 में अपने चहते बड़े बेटे व वारिस शहजादा नासिरूद्दीन  के अवशेषों पर बनवाया था। आप सीढियां चढ़ कर ऊपर जाऐं तो  देखेंगे आप  एक खुले आंगन में खड़े हैं। बीच में एक अष्टकोण जैसा चबूतरा उठा हुआ है। अक्सर लोग यहां पक्षियों को दाना पानी डालते  हैं। चारों तरफ की दीवार में मेहराब दार खिड़कियां हैं जो इसे हवादार बनाती हैं। दोनो और संकड़ी सी सीडियां हैं। एक आदमी के ऊपर चढ़ने लटक हैं। आप छत पर बैठ दूर तक का नज़ारा ए आम करसकते हैं। और मन में आसपास के बेबस खंडहरों को देख सकते हैं। उठे हुआ चबूतरे में एक छोटा सा दरवाज़ा निकला हुआ है। जो आपको दस फुट नीचे तहखाने में दाखिल करता है।  संभल कर नीचे उतरते ही तीन कब्रों जैसी शक्ल दिखाई देती है। चमकीली चादरों से ढकी आसपास कुछ बिखरे फूल मिठाइयां आपके डर और शक को दूर करती है।  यह शहजादे निरुदीन महमूद की आखरी आरामगाह है। गुफा जैसा दिखने वाला यह मकबरा एक असामान्य आठ कोनो वाली छत, जो पत्थर के स्लैब से ढकी हुई है। सफेद संगमरमर के अलंकरण के साथ बलुआ पत्थर में निर्मित मकबरे की बनावट का बाहरी भाग कोनों पर बुर्जों के साथ एक दीवार वाले क्षेत्र को प्रदर्शित करता है, जो इसे सुंदर फ़ारसी  वास्तुकला बनावट में एक किले जैसा रुआब जैसा बनाता लगता है। पश्चिमी दीवार में एक खुसूरती से तराशा हुआ  क़िबला है।  जिसमें मिहराब है, जो तुर्की और अफगान डिजाइन में सफेद संगमरमर से  बना है। संगमरमर की मिहराब में कुरान शरीफ से लिए गए अल्फाज़ रौशन हैं। आसपास कुछ जली बुझी अगरबत्तीओ की राख देखने को मिल जाती है।

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एक साल पहले, गुरुवार के दिन मुझे समझाया कि पीर के दर्शन Sultan Ghari Tomb के लिए औरतें सर ढक कर आती हैं।

लोगों का एक समूह फूलों, रंग-बिरंगे धागों और मिठाइयों के बक्सों के साथ उतरा। गहनों से सजे एक दूल्हा-दुल्हन मंदिर की ओर चल दिए।

Sultan Ghari Tomb सुलतान गाड़ी का यह मकबरा वास्तुकला के नजर से लगभग उसी शक्ल सूरत का एक उदाहरण सा पेश करता है जो कि हमें कुतुब मीनार से जुड़ी  कुव्वतुल-इस्लाम मस्जिद में देखने को मिलता है। यह शिव मंदिर से हटाए गए वास्तुकला संबंधी अवशेषों से निर्मित किया गया है और इसको पत्थर की कडिय़ों से जोड़ कर बनाया गया है। यहां एक वेदिका में संकेत मिले हैं। जिस से इतिहासकारों के अनुमान से लगभग 7वीं और 8वीं शताब्दी परिहार युग, में यहां एक मंदिर मौजूद था। या मंदिर परिसर में बनाया गया हो।

 क्योंकि देखने में यह मकबरा प्राचीन हिंदू मंदिरों में मौजूद छवियों और संरचनाओं जैसा दिखता है और इसमें हिंदू युग के रूपांकनों, स्तंभों के साथ-साथ कक्ष पर भी शामिल है। मकबरा जो चार पिलरों द्वारा समर्थित है, जो दो स्तंभों द्वारा उठाए गए हैं । हिंदू मंदिरों के प्राचीन अवशेषों को प्रदर्शित करता है।

इतिहास लिखने वाले यह बताते हैं कि 1210 ईस्वी में दिल्ली सल्तनत के सुल्तान इल्तुमिश ने 1225 ईस्वी में पूर्वी भारत पर लखनौती अब पश्चिम बंगाल में एक बर्बाद शहर जिसे गौर कहा जाता है। पर कब्जा करने के लिए जंग लडी। इसके बाद, इल्तुतमिश ने इवाज़ से जंग ओ फतह के लिए अपने सबसे बड़े बेटे नसीरुद-दीन महमूद तयार किया । लखनौती के पास हुई लड़ाई में में इवाज़ को 1227 ई. शहजादा नसीरुद-दीन महमूद, जिन्हें तब इलाका ए लखनौती  का सूबेदार नियुक्त किया गया था, ने अपने मूल प्रांत अवध को बंगाल और बिहार में मिला दिया और लखनौती में अपनी राजधानी की स्थापना की। उनकी इस कारनामा ए बहादुरी और कामयाबी ने  सुलतान इल्तुमिश  की शान और हुकूमत के जहोजलाल में इजाफा कर दिया। सुलतान इल्तुतमिश ने अपने लगते जिगर को मालिक उस शर्क यानी “पूरब का सुल्तान” के इनाम ओ खिताब से नवाजा। उसका शासन अल्पकालिक, घटनापूर्ण था और वह अपने इलाका ए हुकूमत को और मजबूत कर सकता था। लेकिन 18 महीनो के शासन के बाद, नसीरूद्दीन महमूद को जन से मार दिया गया। अपने पसंदीदा  बेटे की मौत से बेहद दुखी, सुलतान इल्तुमिश ने कुतुब  के करीब, 1231 ईस्वी में, अपने बेटे की याद में Sultan Ghari Tomb सुल्तान गड़ी नाम से यह मकबरा  बनवाया। पांच साल बाद, 1236 में इल्तुमिश सुलतान का इंतकाल  हो गया। आज इल्तुतमिश कब्र और मकबरा कुतुब परिसर में मौजूद है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के द्वारा रिपोर्ट किए गए कुछ पुरातात्विक निष्कर्ष हैं  1361 के शिलालेख में शादी के अवसर पर एक टैंक की खुदाई की रिकॉर्डिंग, एक पत्थर का लिंग ,हिंदू भगवान शिव का  प्रतीक मिला था।

कुल मिलाकर, मेरे देखे हर जमीन का अपना नसीब होता है। यह जगह एक मंदिर स्थान होने के नाते पूजनीय था। आज भी यह Sultan Ghari Tomb मक़बरा एक मान्यता के अनुसार एक इबादत की जगह है। आप कभी घूमने आएं तो पानी की बोतल खाने के लिए चिप्स बिस्कुट आदि साथ में रखें। और पार्क में बैठ कर एक गुजरे हुए इतिहास के पन्ने से अपना तारूफ करें। दिल्ली के इतिहासिक किलों और इमारतों को घूमने देखने और समझने के लिए आप मुझे फोन या व्हाट्सएप कर सकते है 9811500757 Best Tourist Guide in Delhi हम झाड़ियों से गुजरते हैं। हरे और काले रंग की तितलियाँ पीले और बैंगनी रंग के साथ फड़फड़ाती हैं, बारिश से लड़ने वाले और सफेद स्तन वाले किंगफिशर लुका-छिपी खेलते हैं, जबकि लाल बजर चहकते हैं और भूमिगत लड़ते हैं। शाम के सूरज की ढलती किरणें इशारा करती हैं कि जाने का समय हो गया है, लेकिन नई दिल्ली दूर लगती है। Visit Red Fort of Delhi , Lodhi Garden Walk with History and Nature

किसी ने ठीक कहा है, इतिहास के पन्नो में युद्ध भी है बुद्ध भी है. राग भी है द्वेष भी है. यह हमारे व्यक्तिगत सोच पर निर्भर करता है कि हम अपने इतिहास से क्या सीखते है। अपने पिछले इतिहास, उत्पत्ति और संस्कृति के ज्ञान के बिना
एक व्यक्ति जड़हीन वृक्ष के समान होता है. – मार्कस गार्वी

Sultan Ghari Tomb Ticket and Timings to Visit

Sultan Ghari Tomb Time : 7.30 AM to 5.30 PM

Sultan Ghari Tomb Ticket: Indian Rs 30/, Foreigners Rs 200/

Reach Sultan Ghari by Metro, Bus click here

I hope this will help you for visiting Sultan Ghari Tomb, Thank You Best Delhi Tour Guide.

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